Explained: UCC में शादी क्या दो मर्दों और दो औरतों के बीच होगी? कैसे तय होगी मैरिज की परिभाषा

<p style="text-align: justify;"><strong>Uniform Civil Code: </strong>देश में इस समय यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चारों ओर चर्चा का माहौल बना हुआ. कई लोग पक्ष में तो कई विरोध में हैं. इसके अलावा कई लोग इसे समझने में असमर्थ हैं. विरोध में खासकर मुस्लिम समाज है.</p> <p style="text-align: justify;">उत्तराखंड ने अपने यहां इसे लाने की घोषणा कर दी है. जिसके बाद वहां के मुस्लिम समाज ने विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिया था. यूसीसी के लागू होने के बाद ही उसकी असली तस्वीर सामने आएगी. यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि यूसीसी में <strong>Same Sex Marriage</strong> के लिए क्या व्यवस्था होगी और कैसी होगी?</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ऐसी शादी के लिए क्या होंगे प्रावधानः</strong> इस बारे में कानून के जानकार अलीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फैजान मुस्तफा का मानना है कि यूनीफार्म सिविल कोड समय की जरूरत है. इसे एकदम से पूरे देश में न लागू किया जाए. पहले कुछ राज्यों में लागू किया जाए. उसके परिणाम देखने के बाद ही उसे आगे बढ़ाया जाए.</p> <p style="text-align: justify;">इतना ही नहीं उनका यह भी मामना है कि इसमें काफी कुछ दिक्कतें भी आएंगी. उदाहरण के तौर पर देखें तो यूसीसी में सेम जेंडर में शादी के लिए क्या प्रावधान होगा? क्या दो मर्दों (Gay) के बीच और दो औरतों (Lesbian) के बीच शादी को मान्यता मिलेगी?</p> <p style="text-align: justify;">इतना ही नहीं इससे भी बड़ी दिक्कत लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर (LGBTQ) कम्युनिटी को लेकर खड़ी होगी. इनके लिए यूसीसी में क्या प्रावधान होंगे, यह तय करना भी आसान नहीं होगा.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>शादी के बाद बच्चों का क्या होगाः </strong>कानूनन अगर इन शादियों को मान्यता मिलती है तो समाज में उसकी क्या परिभाषा होगी, उसे कोई भी समाज किस तरह से देखेगा, इसके बाद अगर इनके बच्चे (अडॉप्ट) हुए तो उनका हक किस तरह डिफाइन किया जाएगा, जैसे स्कूल में मां-बाप की जगह पर किसका नाम जाएगा.</p> <p style="text-align: justify;">कौन पति होगा और कौन पत्नी, इसका भी निर्धारण कानून में किस तरह से किया जाएगा, वह इसलिए जरूरी होगा क्योंकि पैरेंट्स के न रहने के बाद संपत्ति के बंटवारे में दिक्कतें आती हैं. यह तो अभी भी हिंदू लॉ और मुस्लिम लॉ दोनों में आती रहती हैं. इसीलिए कानून में संसोधन की जरूरत हमेशा बनी रहती है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>सुप्रीम कोर्ट में लंबित है सेम सेक्स मैरिज का मामलाः </strong>माननीय सुप्रीम कोर्ट में <strong>Same Sex Marriage </strong>का मामला काफी अर्से से चल रहा है. उस पर निर्णय आना अभी बाकी है. केंद्र सरकार ने बकायदा समलैंगिक विवाह पर राय जानने के लिए सभी राज्यों को विगत अप्रैल माह में पत्र भी लिखे थे. जिसमें से अधिकांश राज्यों ने अभी तक जवाब नहीं भेजे हैं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>तीन राज्य Same Sex Marriage</strong><strong>&nbsp;के खिलाफः</strong> तीन राज्य राजस्थान, असम और आंध्र प्रदेश इस तरह की शादियों के विरोध में हैं. उनका मानना है कि इसका समाज पर गलत असर पड़ेगा. चार राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मणिपुर और सिक्किम ने इस विषय में सोच-विचार के लिए थोड़ा और समय मांगा है.</p> <p style="text-align: justify;">समलैंगिक विवाह मामले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है. केंद्र सरकार की ओर से पैरवी के लिए नियुक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस मामले में जिरह कर रहे हैं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ेंः <a title="&lt;strong&gt;UCC Issue: &lt;/strong&gt;&lt;strong&gt;समान नागरिक संहिता पर लॉ कमीशन ने क्यों शुरू की परामर्श प्रक्रिया&lt;/strong&gt;&lt;strong&gt;? &lt;/strong&gt;&lt;strong&gt;सरकार ने संसद में बताया&lt;/strong&gt;" href="https://ift.tt/S3gcM9P" target="_self">UCC Issue: समान नागरिक संहिता पर लॉ कमीशन ने क्यों शुरू की परामर्श प्रक्रिया? सरकार ने संसद में बताया</a></strong></p>

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